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ETF – भारत में विकास और विस्तार

ETF – भारत में विकास और विस्तार
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क्या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) एक नया और टेम्प्ररी ट्रेंड है – या क्या उनका भारत में कोई भविष्य है? ETF इंवेस्टमेंट का स्कोप क्या है? ETF एजुकेशन सीरीज़ की 5 वीं और आखिरी पोस्ट में, हम इन मुख्य सवालों को एनलाइज़ करते हैं। अगर आप ETF के लिए नए हैं, तो आपको पहले आर्टिकल से शुरू करना चाहिए, जिसमें ETF की मूल बातें बताई गई हैं।

भारत में ETF का इतिहास

भारत को अपना पहला ETF 2001 में मिला, जब बेंचमार्क म्यूचुअल फंड ने निफ्टी-50 इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए परिभाषित उद्देश्य के साथ निफ्टी ETF फंड लॉन्च किया। तब से, भारत में ETF उद्योग में धीमी लेकिन स्थिर वृद्धि देखी गई है।

बेंचमार्क भारत में ETF में सबसे प्रथम बने रहे, 2004 में पहला फिक्स्ड इनकम ETF (Liquid BeEs) और 2007 में पहला गोल्ड ETF (Gold BeEs ) लॉन्च करके।
बेंचमार्क ने 2011 में अपना व्यवसाय Goldman Sachs को बेच दिया , जिन्होंने 2015 में इसे रिलायंस म्यूचुअल फंड को बेच दिया। वैसे – यह फंड्स, और यहां तक ​​कि उन्हें मैनेज करने वाली व्यापक टीम और उनकी श्रेणियों में से ज्यादातर एक्टिव और लिक्विड फंड्स आज भी कार्य कर रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि कई AMC ने तब से इसी व्यवहार को फॉलो किया है।

बीच में एक समय था जब ETF सोने में इन्वेस्ट करने के लिए एक आरामदायक तरीका बन गया था, खासकर 2010 के शुरुआत में। वास्तव में, ETF की कुल 50% से अधिक संपत्ति 2009-2014 के बीच के ज़्यादातर वर्षों में गोल्ड फंड्स में थी, जैसा कि नीचे दिए गए ग्राफ में देखा जा सकता है।
AuM of ETFs Source: National Stock Exchange (NSE)[/caption]

2015 से वर्तमान: ETF की 10 गुना वृद्धि

2015 के बाद से, ETF लैंड्स्केप न केवल बहुत बड़ा हो गया है, बल्कि अधिक विविध भी। ETF के लिए Assets under Management दिसंबर 2014 में लगभग 13,800 करोड़ से बढ़कर मई 2019 तक 1,41,500 करोड़ से अधिक हो गई हैं – जो कि 5 वर्षों से कम समय में 10x (या 1,000%) 55% से अधिक के CAGR पर है! दिलचस्प बात यह है कि इस ग्रोथ का बड़ा हिस्सा इक्विटी सेगमेंट से आया है।

TETF में इस ज़बरदस्त वृद्धि ला पाने में दो निर्णयों/घटनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है:

  1. CPSE: मार्च 2014 में, ETF उद्योग को भारी बढ़ावा मिला जब भारत सरकार ने ETF के ज़रिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector undertakings PSU) में अपने शेयर को विभाजित करके धन जमा करने का निर्णय लिया। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (Central Public Sector Enterprises CPSE) ETF, जिसमें तब 10 क़्वालिटी PSU शामिल थे, इन्हें मार्च 2014 में लॉन्च किया गया था
  2. EPFO: Iअगस्त 2015 में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation, EPFO) ने घोषणा की कि वह केवल ETF के ज़रिए ही इक्विटी एक्सपोजर लेगा। ध्यान दें कि EPFO पर सभी भारतीयों के PF और PPF अकाउंट्स का इंवेस्ट/मैनेज करने का ज़िम्मा है। इसके ही वजह से, हाल के वर्षों में धन का एक बड़ा हिस्सा लगातार ETF में आया है, और यह हर वर्ष बढ़ता ही जाएगा क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने PF/PPF अकाउंट्स में पैसा डाल रहे हैं।

CPSE ETF Launch

“सरकार ने यह अनिवार्य कर दिया है रिटायरमेंट और सूपरैन्यूएशन फंड को कम से कम 5% वार्षिक वृद्धि को इक्विटी मार्केट में इंवेस्ट करना है। उनमें से कई ने ऐसे इंवेस्टमेंट के लिए ETF को चुना है”
शरवान गोयल, जो UTI म्यूचुअल फंड में 4 ETF के फंड मैनेजर हैं, जो भारत में सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) में से एक है, उनका कहना है, “इसके अलावा, सरकार ने ETF के ज़रिए अपनी होल्डिंग्स का हिस्सा डिसइंवेस्ट करने का फैसला किया। इससे भारत में ETF के संपूर्ण विकास में मदद मिली है। ”

Growth in AuM of ETFs *As of May 2019. Source: National Stock Exchange (NSE)[/caption]

भारत में ETF लैन्ड्स्केप को बढ़ाने वाले अन्य फैक्टर्स:

  • एक्टिव म्युचुअल फंड्स का खराब प्रदर्शन : : 2018 में बेंचमार्क इंडेक्स में एक्टिव, ज्यादातर इक्विटी म्यूचुअल फंड के खराब प्रदर्शन के साथ, एक्टिव vs. पैसिव बहस में नए सिरे से रुचि पैदा हुई है, जिसमें कई इंवेस्टर कम-कॉस्ट वाले पैसिव विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।

SPIVA, जिसे S&P Dow-Jones सम्भालता है और जो एक्टिव फंड्स vs. इसके बेंचमार्क के प्रदर्शन को ट्रैक करता है, ने बताया कि 90% से अधिक एक्टिव लार्ज-कैप फंड्स ने अपने संबंधित बेंचमार्क से खराब प्रदर्शन किया है

  • बढ़ती इंवेस्टर जागरूकता और शिक्षा : SEBI, AMC, ब्रोकरेज (जिनमें से कई अब सिंगल स्टॉक्स के बजाय नए इंवेस्टर्स को ETF की सिफारिश कर रहे हैं) के निरंतर प्रयासों का धन्यवाद, और कम कॉस्ट्स वाले इंवेस्टमेंट का समर्थन करने वाले इवैन्जलिस्ट का भी, जिनकी वजह से ETF और उनके फ़ायदों के बारे में बहुत अधिक जागरूकता हो गई है। हमने हाल ही में ETF पर ट्विटर जनता का मत लिया, और प्रतिक्रियाएँ काफी उत्साहजनक रही हैं (एक छोटे सैम्पल साइज़ पर):
ETFs Investor Survey

Entire Survey Results: https://twitter.com/smallcaseHQ/status/1153567209513312257

  • ETF को बढ़ावा देती सरकार:: सरकार ETF का उपयोग तेजी से शेयरहोल्डिंग को बढ़ाने और पूंजी जमा करने के लिए एक टूल के रूप में कर रही है।
    • Bharat-22 ETF को 2017 में लॉन्च किया गया था
    • CPSE के सब्स्क्रिप्शन का एक और दौर हाल ही में जुलाई 2019 में किया गया था
    • बजट 2019 में CPSE और Bharat-22 ETF के Tax-Deductible 80C variant प्रपोस किया गया – इससे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में इंवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा
    • रिपोर्ट बताती है कि Public-Sector Banks (PSB) फोकस्ड ETF भी जल्द ही आने की सम्भावना है

भारत में ETF को अपनाने में महत्वपूर्ण बाधांए:

कई फायदों और लाभों के बावजूद, इंवेस्टर्स के बीच ETF की समझ अभी भी म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि डिस्ट्रिब्यूटर्स के पास ग्राहकों को इन उत्पादों की “सिफारिश” करने के लिए कोई इन्सेन्टिव नहीं है। डिस्ट्रिब्यूटर वे लोग/फर्म्स हैं जो ग्राहकों को इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स की “सिफारिश करते” और बेचते हैं।

चूंकि ETF आमतौर पर किसी भी कमीशन का भुगतान नहीं करते हैं (कॉस्ट को कम रखने के लिए), जबकि म्यूचुअल फंड करते हैं, डिस्ट्रिब्यूटर्स के पास आम तौर पर MF को आगे बढ़ाने के लिए अधिक इन्सेन्टिव होता हैं, भले ही ETF ग्राहकों के लिए बेहतर क्यों ना हो।

अन्य कारण जिनकी वजह से रुकावट आई है उनमें कम लिक्विडिटी और कम ट्रेडिंग वैल्यू शामिल है, हालांकि हाल के वर्षों में इसमें सुधार हुआ है। ETF में SIPs भी म्यूचुअल फंड की तरह आसान नहीं हैं, और यह वजह कई इंवेस्टर्स को ETF के इस्तेमाल से रोकती है। अंत में, इक्विटी ETF के कम प्रकार – जिसमें स्मॉलकैप पर एक भी फोकस्ड नहीं और मिडकैप स्पेस में केवल कुछ एक – इसने कई इंवेस्टर्स को दूर रखा है।

Types of Equity ETFs in India

हालांकि, कई प्रोफेश्नल्स को अभी तक ज्यादा विविध या नीश ETF रणनीतियों की जरूरत महसूस नहीं होती है। UTI के शरवान कहते हैं, “वर्तमान में भारत में 79 ETF उपलब्ध हैं, जिनमें से 59 ETF 22 विभिन्न इक्विटी इन्डिसीज़ से जुड़े हैं। ETF की वर्तमान स्थिति और सामान्य मार्केट की गहराई को देखते हुए, यह काफी अच्छा फैलाव है। नए ETFs की उपलब्धता से पहले ब्रॉड मार्केट इन्डिसीज़ पर फ्लैगशिप ETFs को अगले लेवल तक पहुंच जाना चाहिए।”

आगे का रास्ता

ETF ने अभी से ही दुनिया भर में जगह बना ली है, इस तरह के फंड्स में AuM अभी से ही कई देशों के पारंपरिक म्यूचुअल फंड्स को पार कर रहे हैं। ETF की कम कॉस्ट और तेज़ लिक्विडिटी ने इसे ग्लोबल लेवल पर इंवेस्टर्स का पसंदीदा बना दिया है।

लेकिन रास्ता हमेशा इतना आसान नहीं था – ETF जिन चुनौतियों का सामना इस वक्त भारतीय मार्केट में कर रहे हैं, यह लगभग वैसी ही है जैसी ETF ने अपने शुरुआती वर्षों में US और UK जैसे विकसित मार्केट्स में की थी।
2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के वजह से ETF मेनस्ट्रीम में आए क्योंकि ग्लोबल इंवेस्टर्स को फिर से याद आया कि रिटर्न को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, लेकिन कॉस्ट्स को नियंत्रित किया जा सकता है। (इसके बारे में और जानें कि कैसे 3 stock market crashes ने इंवेस्टमेंट की दुनिया को बदल दिया)। अगले 10 वर्षों में, ETF एसेट्स 2008 में लगभग $700 बिलियन से बढ़कर 2019 तक $5 ट्रिलियन से अधिक हो गईं।

भारत में, ETF बाजार अब एक दिलचस्प मोड़ पर है, क्योंकि ETF एक्टिव फंड के बेहतर प्रदर्शन के वजह से एक बार फिर से फ़ोकस में है। कॉस्ट्स पर यह वापस से फोकस आ जाना, इंवेस्टर्स को कम कॉस्ट वाली और बेहतर विकल्प तलाशने और एक्सचेंज ट्रेडिड फंड्स के लाभों का अनुभव करने के लिए रास्ता दिखा सकता है।

ETF Search Interest on Google

Search Interest on Google for ETFs & Mutual Funds in the past 1 year

smallcase में, हमें विश्वास है कि ETFs समान म्युचुअल फंड के मुकाबले अधिक कुशल और इंवेस्टर के अनुकूल है। वे लॉन्गटर्म इंवेस्टर्स के लिए म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले प्राकृतिक रूप से बेहतर हैं। इसलिए हम अपने सभी asset allocation smallcases में इनका इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें इक्विटी, गोल्ड, फिक्स्ड इनकम आदि जैसी विभिन्न एसेट्स में इंवेस्टमेंट करके स्टेबल रिटर्न के लिए बनाया जाता है।

एक इंवेस्टर के रूप में, मैं चाहूंगा की ETF मार्केट विकास करे। वे मेरे लिए न केवल व्यक्तिगत रूप से बेहतर हैं – यदि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ट्रेंड्स पर विश्वास किया जाए, तो ETF को अपनाने से कॉस्ट्स में कमी होने के वजह से पूरे मार्केट की बेहतरी होती है ।

उदाहरण के लिए, US में बड़े/लोकप्रिय लार्ज-कैप ETFs अब 0.03% या उससे भी कम का एक्स्पेंस रेश्यो चार्ज करते हैं – वास्तव में, कुछ AMC ने नो-फीस एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भी लॉन्च किए हैं जो इंवेस्टर्स से चार्ज नहीं करते हैं! इसकी वजह से, अमेरिका में म्यूचुअल फंड्स ने भी अपनी फीस में काफी कमी कर दी है। कल्पना कीजिए – क्या निफ्टी-50 में केवल ₹30 देकर ₹1,00,000 का निवेश करना अच्छा नहीं होगा, बजाय म्यूचुअल फंड फीस में ₹1,000-2,000 देने के?

बाद में जल्द से जल्द, ETF भी म्यूचुअल फंड्स की तरह ही लोकप्रिय हो जाएगा – लेकिन आपको इसके लाभों को प्राप्त करने के लिए इंतजार नहीं करना होगा। अगली बार जब आप किसी इंवेस्टमेंट करने पर विचार कर रहे हों, खासकर के म्यूचुअल फंड्स में, तो अपने आप से पूछें कि क्या आप ETF के साथ भी इसी उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। विशेष रूप से, यदि आप हर महीने SIP के साथ लॉन्गटर्म इंवेस्टर हैं और निकट भविष्य में रिडीम करने का कोई इरादा नहीं है, तो ETF एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। हैप्पी इंवेस्टिंग!

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यह पोस्ट ETF एजुकेशन सीरीज़ में 5वीं और अंतिम है। यदि आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स के लिए नए हैं या उनके बारे में अधिक जानने के इच्छुक हैं, तो हमपूरी श्रृंखला पढ़ने की सलाह देते हैं:

  1. 1. ETF101 – ETF क्या है?
  2. 2. ETF लिक्विडिटी, क्रिएशन, और Authorised Participants का रोल
  3. म्यूचुअल फंड्स की तुलना में ETF बेहतर क्यों हैं?
  4. 4. 3 स्टॉक मार्केट क्रैश जिन्होंने इंवेस्टमेंट को बदल दिया:MF और ETF की शुरूआत
  5. ETF – भारत में विकास और विस्तार

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